ECO Park Patna | Rajdhani Vatika
अत्यधिक प्रदूषण, तनाव, काम के दबाव और जिंदगी के भागमभाग से परेशान इंसान को यदि कोई चीज अच्छा महसूस करवा सकती है तो वो है प्रकृति। शहरों में यदि प्रकृति को महसूस करना है तो पार्क से बेहतर विकल्प और भला क्या हो सकता है ? Eco Park Patna ( राजधानी वाटिका पटना) भी बिलकुल वैसी हीं जगह है।
बिहार की राजधानी पटना में स्थित मनोरम स्थलों में से एक राजधानी वाटिका है। इसे इकोलॉजीकल पार्क या इको पार्क के नाम से भी जाना जाता है। यदि आप इस पार्क में पहले आ चुके हैं या इस पार्क मे पहली बार जा रहे हैं तो इस सुन्दर जगह की कुछ खास बातें जरूर जान लीजिये इससे आपका ज्ञानवर्द्धन तो होगा हीं आपके घूमने का मज़ा भी दोगुना हो जाएगा ।
पटना का इको पार्क शहर के शोर-गुल और प्रदूषण से दूर, हरियाली से भरा हुआ बहुत ही शांत स्थान है। यह पार्क बेली रोड के पुनाईचक क्षेत्र में पटना सचिवालय के नजदीक स्थित है। विश्वप्रसिद्ध बिहार संग्रहालय से इस पार्क की दूरी मात्र 1 किलोमीटर है। यहाँ की शुद्ध हवा, चिड़ियों का मधुर स्वर में कलरव और चारों तरफ की हरियाली देखकर मन प्रसन्न हो जाता है। यहाँ पौधों की करीब 3000 प्रजातियाँ मौजूद हैं। इसी लिए ये पार्क सुबह सैर करने वालों की पहली पसंद है।
Eco Park Patna की प्रमुख विशेषताएं:
अक्टूबर 2011 में इस पार्क का उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी के द्वारा किया गया था। इस पार्क का निर्माण पटना जू की भीड़ को कम करने के लिए किया गया था। पटना शहर का यह इको पार्क 9.18 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैला हुआ है।
इको पार्क में टहलने के लिए करीब 1,445 मीटर का मार्ग, 1,191 मीटर का जॉगिंग ट्रैक, ओपन जिम और बच्चों को खेलने के लिए दो झूला पार्क भी बनाया गया है। यहाँ पर दो झीलें हैं जो कि एक एकड़ के विशाल क्षेत्र में फैली हुई है।
ये झीलें इको पार्क का मुख्य आकर्षण हैं। इन झीलों में पर्यटक बोटिंग का आनंद उठातें हैं। अपनी इन्ही विशेषताओं के कारण यह पार्क पर्यटकों में बहुत ही प्रसिद्ध है। यहाँ प्रतिदिन करीब 3,000-5,000 लोग घूमने आते हैं। सप्ताह के अंतिम दिनों में यह संख्या बढ़कर 6,000 से 9,000 तक पहुँच जाती है। लगभग 100,000 लोग हर महीने इस पार्क में घूमने के लिए आते है। पर्यटकों की असीम संख्या से ही इस पार्क की लोकप्रियता का पता चल जाता है।
क्या आप को पता है कि 2014 के नववर्ष के मौके पर यहाँ करीब 42,350 लोग आए थे जो कि अपने आप में एक तरह का रिकॉर्ड है। इसी तरह की और भी रोचक जानकारियों के लिए इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें।
Eco Park Patna का निर्माण :
पटना शहर के प्रमुख आकर्षण इको पार्क को पटना चिड़ियाघर पर भीड़ के कारण पड़ रहे अत्याधिक दबाव को कम करने के मकसद से बनाया गया था और उस मकसद में ये पार्क कामयाब भी रहा। संजय गांधी जैविक उद्यान जिसे पटना जू के नाम से भी जाना जाता है के बाद इको पार्क ही ऐसा पार्क है जहां सबसे ज्यादा पर्यटक आतें हैं। पटना जू में प्रति वर्ष करीब 30 लाख लोग जबकि इको पार्क में प्रतिवर्ष करीब 24 लाख लोग आतें हैं।
इस पार्क (राजधानी वाटिका) को बिहार के पर्यावरण और वन विभाग द्वारा बनाया गया था। देश में इस तरह के थीम पार्क बहुत ही कम संख्या में है। पटना में यह अपनी तरह का इकलौता पार्क है। पटना आए हुए लोग एक बार इस पार्क में जरूर आतें हैं। यहाँ सभी आयु वर्ग के लोग घूमने के लिए आतें हैं। यहाँ पर आने वालों के लिए बीएसएनएल की तरफ से 100 एमबीपीएस तक की गति वाली निशुल्क वाई-फाई की सुविधा भी उपलब्ध है। पार्क प्रशासन पार्क के रख-रखाव पर करीब दो करोड़ रुपये खर्च करता है।
क्या आपको पता है की इस पार्क में एक ऐसी कलाकृति है जो कि पूरी तरह से रोजमर्रा के काम आने वाली चीजों से बनी है। उस कलाकृति के बारें में विस्तार से जानने के लिए लेख को पढ़ते रहिए।
Eco Park Patna के मुख्य आकर्षण:
इको पार्क (राजधानी वाटिका) में उपलब्ध मनोरंजन के साधन इसे एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का थीम पार्क बनातें हैं। यहाँ पर सुबह की सैर के लिए जॉगिंग ट्रैक, ओपन जिम, बच्चों के लिए पार्क, झूले, झरना, , बोट राइड, जैसी सुविधाएं मौजूद हैं। यहाँ पर 3000 तरह के पौधे भी लगाए गए हैं। इस पार्क के मुख्य रूप से दो भाग है। पहले भाग में कई तरह के फव्वारे, बच्चों का कोना, और कैफेटरिया है। दूसरे भाग में थीम पार्क जैसे राशि वन, गुरु वाटिका, नक्षत्र वन, बुद्ध वाटिका, तीर्थंकर वन, केवली और पंचवटी वन है।
इस भाग में एक भोजनालय और झील हैं जहां घूमने आने वाले लोग बोटिंग करते हैं। पार्क के ये दोनों भाग आपस में एक सुरंग से जुड़ें हुए हैं। इससे बड़ी ही आसानी से पार्क के एक भाग से दूसरे भाग में जाया जा सकता है। इस सुरंग में महात्मा बुद्ध के जीवन के विभिन्न पहलुओं को दिखाया गया है।
पार्क में खुले आसमान के नीचे बैठकर करीब की बड़ी एलईडी टीवी स्क्रीन पर फिल्में भी देखी जा सकतीं हैं। यह सुविधा मुफ़्त है। यहाँ पर हर रोज शाम के समय वन्य-जीवों के ऊपर आधारित फिल्में दिखाई जातीं हैं।
यहाँ पर कई प्रसिद्ध कलाकारों की अनोखी कृतियाँ जैसे- सुबोध कुमार गुप्ता की ‘कैक्टस स्मृति’ और रजत घोष की कृति ‘राजा शैलेश’ भी लगाई गई हैं।
इको पार्क को समय-समय पर और भी ज्यादा सुंदर बनाने के प्रयास चलतें रहतें हैं। इसी के तहत पार्क के सौंदर्यकरण के लिए यहाँ पर असली मिग-21 विमान, विभिन्न प्रकार की सुविधाओं वाला कैफेटेरिया और 70 फीट की ऊंचाई वाला एक कृत्रिम झरना (वाटर कैस्केड) भी बनवाया गया है ।
इन तीनों आकर्षणों का उद्घाटन 26 दिसंबर, 2018 को बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के द्वारा किया गया था। उपमुख्यमंत्री ने इको पार्क की बहुत तारीफ की और कहा कि इस तरह का पार्क तो गुजरात में भी नहीं है। यहाँ पर तो तीन पार्क हैं। पटना शहर के लोगों को यहाँ जरूर आना चाहिए।
इस पार्क (राजधानी वाटिका) का निर्माण हर आयु वर्ग के लोगों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। उन्होंने कृत्रिम झरने की भी बहुत तारीफ की और कहा की पटना में इस तरह का झरना अब तक नहीं था। पटनावासियों को ये बहुत पसंद आएगा। इस झरने को बनाने में करीब 48 लाख का खर्च आया है जबकि कैफेटेरिया 24 लाख की लागत से बना है।
लड़ाकू विमान मिग-21:
इको पार्क के मुख्य आकर्षणों में से एक मिग-21 एक असली लड़ाकू विमान है। यह दुनिया के सबसे पुराने लड़ाकू विमानों में से एक है। यह विमान भारत के वीर जवानों की वीरता का प्रतीक है। भारत और चीन के बीच हुए युद्ध में इस विमान को इस्तेमाल किया गया था। भारत-पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध में भी इसी विमान की सहायता से भारत के जवानों ने दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए थे।
यह विमान 1961 में सोवियत संघ से खरीदा गया था। इस विमान का उपयोग 1965, 1971 तथा 1999 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में किया गया था। यह विमान डेल्टा विंग डिजाइन पर आधारित है। यह विमान 14.5 मीटर लंबा, 7.15 मीटर चौड़ा तथा इसका वजन 2500 किलोग्राम है। यह 2230 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ सकता है।
इस विमान की एक खास बात यह भी है की यह विमान एक बार में अपने साथ चार आर-60 मिसाइलों को ले जा सकता है। राजधानी वाटिका में लगाने के लिए इसे लखनऊ से मंगाया गया था।
इस एक इंजन वाले रूसी लड़ाकू विमान को एडवेंचर पार्क (पश्चिमी हिस्सा) में उड़ान भरने वाली स्थिति में लगाया गया है। जिसे देखकर ऐसा लगता है के ये बस उड़ान भरने ही वाला है। पार्क में एक गाइड भी है जो इसके विषय में दर्शकों को जानकारी देता है।
Eco Park Patna का कृत्रिम झरना (वाटर कैस्केड):
इको पार्क (राजधानी वाटिका) का नया आकर्षण कृत्रिम झरना है। इस झरने की ऊंचाई करीब 70 फीट है। इस झरने को पहाड़ के आकार का बनाया गया है। पटना शहर में यह अपनी तरह का पहला झरना है।
पार्क घूमने आने वालों को यह झरना बहुत ही पसंद आ रहा है। यह झरना पिकनिक मनाने के लिए और सेल्फ़ी खिंचवाने के लिए सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता है। इस झरने के अंदर बहुत सारे कमरें भी बने हुए है। हालांकि इन कमरो का उपयोग सर्दी के मौसम में नहीं किया जा सकता है। इस झरने से इको पार्क की खूबसूरती और भी बढ़ गई है।
Eco Park Patna में कैफेटेरिया का आनंद :
वैसे तो इस पार्क में पहले से एक कैफेटेरिया मौजूद था पर वह यहाँ पर आने वाले लोगों के हिसाब से कम पड़ रहा था। इसलिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के द्वारा नववर्ष के मौके पर इस पार्क में एक और कैफेटेरिया बनवाया गया। इस कैफेटेरिया को एडवेंचर पार्क में खोला गया है। इस नए खुले कैफेटेरिया में बहुत सी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं।
पार्क में कैफेटेरिया और भोजनालय के होने से लोगों को कहीं बाहर नहीं जाना पड़ता है और उनकी पसंद का खाना उन्हें पार्क के अंदर ही मिल जाता है। यहाँ पर स्ट्रीट फूड,स्नैक्स,आइसक्रीमऔर मिल्कशेक जैसा खाने-पीने का सामान बहुत ही आसानी से मिल जाता है।
यहाँ पर घूमने आने वाले दर्शक इन दोनों कैफेटेरिया और सुधा पार्लर में वाजिब दामों पर अच्छे खाने का लुत्फ उठा सकतें हैं। कैफेटेरिया में 30 से 40 लोग आराम से बैठकर खाने का आनंद ले सकतें हैं।
Eco Park Patna में एक़्वा जॉर्बिंग:
एक़्वा जॉर्बिंग एक तरह का पानी में खेला जाने वाला खेल है। यह बहुत ही मनोरंजक खेल है इसलिए इस खेल को बच्चे और बड़े समान रूप से खेलना पसंद करते हैं। इस खेल को पार्क की छोटी झील में खेला जाता है।
यह झील बच्चों के पार्क के पहले भाग में स्थित है। पेंटबॉल के बाद अगर सबसे आसान और सुरक्षित खेल कोई है तो वो एक़्वा जॉर्बिंग ही है। इस खेल में एक व्यक्ति को फुले हुए गुब्बारे में डालकर फिर उसे झील में छोड़ दिया जाता है। इस खेल में व्यक्ति को चोट लगने का कोई खतरा नहीं होता है। व्यक्ति इस गुब्बारे में चल, दौड़ या कूद भी सकता है।
राजधानी वाटिका का चिल्ड्रन पार्क:
इको पार्क (राजधानी वाटिका) आना बच्चों को बहुत पसंद है। बहुत सारे स्कूल के बच्चें यहाँ घूमने और पिकनिक मनाने आतें हैं। बच्चों के करने के लिए यहाँ बहुत सारी गतिविधियाँ हैं जैसे-साइड नेट ब्रिज, स्केटिंग, जिप लाइनिंग, बैम्बो ब्रिज, रॉक क्लाइम्बिंग, टायर ब्रिज, टेंडम साइकलिंग और वर्मा झूला।
करीब 3 लाख बच्चें हर साल राजधानी वाटिका में घूमने के लिए आतें हैं। बच्चें यहाँ खेलने-कूदने के साथ-साथ बिहार के इतिहास से भी परिचित हो जातें हैं। सर्दियों के मौसम में एडवेंचर स्पोर्ट्स सीखने आने वाले बच्चों की संख्या 40 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।
थीम पार्क्स:
थीम पार्क इस पार्क के बहुत बड़ा आकर्षण हैं। इन थीम पार्कों के नाम राशि वन, गुरु वाटिका, नक्षत्र वन, बुद्ध वाटिका, तीर्थंकर वन, केवली और पंचवटी वन है।
ये बगीचे किसी न किसी थीम पर आधारित है जैसे-पंचवटी वन पंचतत्व की थीम पर बनाया गया है। इसके हिसाब से संसार और मानव शरीर पाँच तत्वों से मिलकर बना है। ये पाँच तत्व अग्नि, जल, पृथ्वी, वायु और आकाश हैं। पौराणिक शास्त्रानुसार इन पाँच तत्वों को पाँच वृक्षों से जोड़ा गया है।
इन पाँच वृक्षों को पंचवटी वन में लगाया गया है। शास्त्रों के अनुसार पीपल शुद्ध हवा, बरगद का पेड़ ठंडी हवा और अशोक का पेड़ शोक को दूर करता है। आम और बेल के वृक्षों का आयुर्वेद में बड़ा महत्व है। इसी प्रकार नक्षत्र और राशि वन में नक्षत्रों और राशियों से जुड़े पेड़ लगाए गए हैं।
Eco Park Patna में बोटिंग का मज़ा:
इस पार्क में मौजूद दो झीलों में पर्यटक बोटिंग का मजा ले सकतें हैं। बोटिंग के लिए यहाँ पर नाव, शिकारा और बैटरी चालित बोट मौजूद है।
यहाँ पर बोटिंग के लिए 20 से भी ज्यादा बोट उपलब्ध हैं। जिससे पर्यटकों को ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ता है। यहाँ पर मौजूद शिकारे में एक साथ 4 लोग बैठ सकतें हैं।
पर्यटक यदि चाहें तो बोट के लिए एक चालक भी ले सकते हैं । जिससे पर्यटकों को बोट को नहीं चलाना पड़ता है। इससे सबसे ज्यादा फायदा महिलाओं और बच्चों को होता है क्योंकि उन्हे बोट को चलाने में थोड़ी दिक्कत होती है।
इको पार्क में विश्व प्रसिद्ध कलाकारों के द्वारा बनाई गई कलाकृतियाँ भी लगाई गई हैं जो कि अपने आप में आकर्षण का केंद्र हैं। देश-विदेश से आने वाले पर्यटक इनकी बहुत तारीफ करतें हैं।
Eco Park Patna में मशहूर कलाकृति- कैक्टस स्मृति:
विश्व भर में प्रसिद्ध भारतीय कलाकार सुबोध गुप्ता जिनकी कलाकृतियाँ दुनिया भर में लाखों की बिकतीं है, ने बिहार के लिए एक हजार से अधिक स्टेनलेस स्टील के बर्तनों से बने 26 फुट के कैक्टस को बनाया है।
सुबोध गुप्ता रोजमर्रा की वस्तुओं जैसे कि स्टेनलेस स्टील के टिफिन बॉक्स, साइकिल और बर्तनों से कमाल की चीजें बनाने में माहिर हैं। इस कैक्टस को बनाने के लिए भी, गुप्ता ने भारतीय घरों में दैनिक रूप से उपयोग किए जाने वाले कटोरे, टिफिन बॉक्स, प्लेट,चम्मच और अन्य बर्तनों का उपयोग किया है।
सामान्यतः घरों में इस्तेमाल होने वाले बर्तनों में बहुत ही जल्दी जंग लग जाता है। इससे बचने के लिए इस में विशेष प्रकार की 316 ग्रेड वाली स्टैनलेस स्टील प्रयोग की गई है। इससे मौसम का भी कोई प्रभाव इस कैक्टस पर नहीं पड़ेगा। इस संरचना को अंदर से स्टील की रॉड द्वारा सपोर्ट प्रदान दिया गया है। ऐसा माना जाता है की कैक्टस स्मृति को बनाने में करोड़ों का खर्च आया है।
सुबोध गुप्ता ने अपनी कला के बारे में बताते हुए कहा:
“यह एक कैक्टस की संरचना है जिसमें दो लाल गोल आकार की संरचनाएँ जुड़ी हुई हैं। कैक्टस मजबूत अस्तित्व का प्रतीक है। आप इसे किसी भी स्थिति में डाल दीजिए लेकिन यह जीवित रहेगा। कैक्टस धीरज और ताकत का प्रतिनिधित्व करता है जो सूखे और तूफान जैसी कठोर परिस्थितियों का भी सामना डट कर करता है।
शायद ये सबसे कठोर पौधा लगे और यह उतना सुंदर भी नहीं है लेकिन जब यह खिलता है, तो यह सुंदर दिखता है – इसका फूल काफी सुंदर है और जो अपनी सुंदरता से लोगों को आकर्षित करता है। यह कैक्टस बिहार के लोगों का प्रतिनिधित्व करता है, जो अंधेरे युग (खराब शासन) में भी लंबे समय से खड़े हैं। दो लाल गोल आकार की संरचनाएं फूल का प्रतिनिधित्व करती हैं कि कैसे अंधेरे युग से बिहार का पुनर्जन्म हुआ है।”
दलित राजा सलहेस की प्रतिमा :
रजत कुमार घोष जो की 1978 में पटना कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स के छात्र रह चुके हैं और जिन्होंने जिन्होंने 1984 में अपनी मूर्तियों और टेराकोटा के काम के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीता था, उन्होंने राजा सलहेस जो की एक दलित राजा थे की प्रतिमा बनाई है। रजत घोष इस प्रतिमा के बारे में कहते हैं कि “मैंने सालों पहले मणि पद्मा की एक किताब में राजा सलहेस के बारे में पढ़ा था।
राजा सलहेस दुसाधों के राजा थे और प्राचीन काल में मिथिला में अपने समुदाय के कल्याण के लिए काम करते थे। तब से मैं उनकी एक मूर्ति बनाना चाहता था। मैं हमेशा से प्राचीन काल के नायकों जैसे-रेशमा चुहरमल, दीना बद्री, हिरनी बिरनी और राजा चोलन से काफी प्रभावित था। इन सभी नेताओं ने अपने समय में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लेकिन इनके बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।
वास्तव में, उनके बारे में बहुत कम लोगों ने सुना है। एक कलाकार के रूप में, मैंने हमेशा इन दिग्गज किरदारों पर ध्यान देने की कोशिश की है।मैं प्राचीन कला को आधुनिक बनाना चाहता हूँ।” राजा सलहेस की 20 फीट ऊंची प्रतिमा जो की सुनहरे रंग की है, को बनाने के लिए आठ टन लोहे और एक टन स्टील का इस्तेमाल किया है। रजत घोष की रचनाएँ चंडीगढ़ में नॉर्थ ज़ोन कल्चर सेंटर, पटना में यूनिसेफ उद्यान और नेशनल गैलरी ऑफ़ मॉडर्न आर्ट में भी प्रदर्शित हैं।
नालंदा विश्वविद्यालय के ध्वंसावशेष:
पार्क के इस भाग में विश्वप्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेषों को प्रदर्शित किया गया है। यह महान नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेषों की प्रतिकृति है जिसके माध्यम से प्राचीन बिहार के वैभव और गौरव को फिर से देखा जा सकता है। इन प्रतिकृतियों को प्रख्यात डच मूर्तिकार डायना हेगन और दिल्ली के कलाकार संजीव कुमार सिन्हा द्वारा बनाया गया है।
नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीन काल के महान विश्वविद्यालयों में से एक हुआ करता था। यह दुनिया का पहला आवासीय विश्वविद्यालय था जहां पर 10,000 से भी ज्यादा भिक्षु और छात्र धर्मशास्त्र, खगोल विज्ञान, तत्वमीमांसा, चिकित्सा और दर्शन जैसे विषयों को पढ़ा करते थे।
बारहवीं शताब्दी में इसे आक्रमणकारियों द्वारा तोड़ दिया गया था। इसकि तीनों पुस्तकालयों को जला डाला गया था। कहा जाता है की इन पुस्तकालयों में इतनी किताबें थी कि पुस्तकालयों में लगी आग छह महीने तक जलती रही। इसे राज्य शताब्दी समारोह के अवसर पर स्थापित किया गया था। यह प्राचीन काल के बिहार की भव्यता और महानता को दर्शाता है।
Eco Park Patna Timing (राजधानी वाटिका समय सारिणी):
इको पार्क सुबह 5 बजे से रात 6.30 बजे तक खुला रहता है। पार्क सुबह 5 बजे से 8 बजे तक सुबह की सैर करने वालों के लिए खुला रहता है। यह पार्क आम जनता के लिए मार्च से नवंबर के महीने में सुबह 8.30 बजे से संध्या 6.30 बजे तक और नवंबर से फरवरी के महीने में सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक खुला रहता है।
Eco Park Patna Closing Day (साप्ताहिक बंदी ):
- प्रत्येक गुरुवार को इको पार्क बंद रहता है।
Eco Park Patna Ticket Price (प्रवेश शुल्क):
इको पार्क (राजधानी वाटिका) में सुबह सुबह 5 बजे से 8 बजे तक सैर करने आने वालों के लिए 5 रुपये है। मॉर्निंग वॉक का मंथली पास शुल्क 100 रुपये है । सुबह 8 बजे के बाद आने वाले पर्यटकों के लिए अलग-अलग टिकट दरें है जो कि नीचे दी गई हैं।
- पार्क का एंट्री टिकट 20 रुपये प्रति वयस्क (12 वर्ष से अधिक उम्र वाले) है।
- 3 से 12 वर्ष तक के बच्चों का प्रवेश शुल्क 10 रुपये है।
- 3 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए एंट्री निशुल्क है।
- अगर आप पार्क में DSLR कैमरा या हैंडीकैम लाना चाहतें है तो उसका टिकट आपको अलग से लेना पड़ेगा। इसका टिकट प्राइस 100 रुपये है। टिकट ना लेने पर आपको टिकट के दाम के साथ 100 रुपये का फाइन भी देना पड़ेगा।
- वीडियो रिकॉर्डिंग (प्रोफेशनल विडियो-शूटिंग) का शुल्क 2000 रुपये है।
- अगर आप रोज पार्क आना चाहतें है तों इसके लिए मंथली पास भी ले सकतें हैं। मंथली पास की कीमत 250 रुपये है।
Eco Park Boating Ticket (राजधानी वाटिका नौकायन शुल्क):
- 2 सीट वाले बोट का शुल्क 80 रुपया प्रति आधा घंटा है ।
- 4 सीट वाले बोट का शुल्क 100 रुपया प्रति आधा घंटा है ।
- 4 सीट वाले शिकारा का शुल्क 200 रुपया प्रति 20 मिनट है ।
- शनिवार, रविवार और सार्वजनिक छुट्टी वाले दिनों में इसी शुल्क में मात्र 20 मिनट हीं बोटिंग कर पाएंगे ।
- बोटिंग का समय – मार्च से अक्तूबर सुबह 11 से संध्या 7 बजे तक और नवंबर से फरवरी तक सुबह 10.30 से संध्या 6 बजे तक ।
Adventure Park Ticket (एडवेंचर पार्क शुल्क):
- रोलर स्केटिंग- 50 रुपये प्रति व्यक्ति
- वॉल क्लाईबिंग एवं जिप लाईन- 100 रुपये प्रति व्यक्ति
- वर्मा, बम्बू साईड एवं टायर ब्रिज- 100 रुपये प्रति व्यक्ति
सारांश:
तो जैसा की अपने इस लेख में पढ़ा कि इको पार्क (राजधानी वाटिका) एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर का पार्क है जहां पर आप सुबह की सैर से लेकर बोटिंग, ओपन जिम, स्केटिंग जैसी विभिन्न प्रकार के एडवेंचर स्पोर्ट्स, एक़्वा जॉर्बिंग और अलग-अलग प्रकार के थीम पार्क्स का आनंद उठा सकतें हैं।
यहाँ का कृत्रिम झरना, मिग-21 विमान और कैक्टस स्मृति जैसी विश्वस्तरीय कलाकृतियाँ इस पार्क को और भी खूबसूरत बनती हैं। यह पार्क बिहार और पटना शहर का गौरव है। इस पार्क के बारे में जितना भी लिखा जाए उतना कम है। इस पार्क की असली खूबसूरती तो यहाँ आकर ही पता चलती है इसलिए सभी को एक बार इस पार्क में जरूर आना चाहिए।
eco park ki itni achchhi jankari dene ke liye dhanywad.
Very nice
thanks
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Quaility information for all, Thanks.