Valmiki Tiger Reserve | Valmiki National Park
वाल्मीकि नेशनल पार्क
वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान किस राज्य में है?
Valmiki Tiger Reserve (VTR) हिमालय की तराई मे बिहार-नेपाल-उत्तर प्रदेश की सीमा पर बिहार राज्य में स्थित वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल 901 वर्ग किलोमीटर है। जो की पूरे पश्चिमी चम्पारण जिले के भौगोलिक क्षेत्र का 17.4% हिस्सा कवर करता है ।
कुल वन क्षेत्र में लगभग 901 वर्ग किमी शामिल है, जिसमें से वाल्मीकि वन्यजीव अभयारण्य का विस्तार 880.78 वर्ग किमी है। और राष्ट्रीय उद्यान का प्रसार लगभग 335.64 वर्ग किमी है। उत्तर में, संरक्षित क्षेत्रों की सीमा नेपाल से लगती है जबकि भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश वन्यजीव अभयारण्य को पश्चिमी तरफ से काटता है।
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व अपने बाघों के लिए दुनिया भर मे जाना जाता है । बाघों की संख्या मे लगातार बढ़ोतरी होना इस बात की तरफ इशारा करते हैं की यहाँ के जंगल एवं जलवायु बाघों के रहने एवं उनके विकास के लिए सबसे उत्तम स्थानों मे से एक है ।
पशु पक्षी
यहाँ के जंगलों में पाए जाने वाले जंगली स्तनधारी टाईगर, भालू, तेंदुआ, जंगली कुत्ता, बाइसन, जंगली सूअर आदि हैं। हिरण और मृग की कई प्रजातियां हिरणों के झुंड, चित्तीदार हिरण, हॉग हिरण, सांभर और नीले बैल भी पाए जाते हैं।
यहाँ। मदनपुर वन ब्लॉक में बड़ी संख्या में भारतीय उड़ने वाली लोमड़ियों को देखा जा सकता है। वाल्मीकि टाईगर रिज़र्व में पक्षियों की 250 से अधिक प्रजातियां बताई गई हैं।
Location- वाल्मीकि नेशनल पार्क कहाँ स्थित है ?
भारत की राजधानी दिल्ली से लगभग 1400 किलोमीटर दूर एवं बिहार की राजधानी पटना से लगभग 300 किलोमीटर उत्तर मे भारत नेपाल की सीमा पर पश्चिम चम्पारण जिले मे स्थित यह बिहार का इकलौता राष्ट्रीय उद्यान है।
वाल्मीकि नगर, बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के सबसे उत्तरी भाग में नेपाल की सीमा के पास बेतिया से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह एक छोटा कस्बा है जहां कम आबादी है और यह अधिकांशत: वन क्षेत्र के अंदर है।
पश्चिमी चंपारण जिले का एक रेलवे स्टेशन नरकटियागंज के पास स्थित है। यह पार्क उत्तर में नेपाल के रॉयल चितवन नेशनल पार्क और पश्चिम में हिमालय पर्वत एवं गंडक नदी से घिरा हुआ है।
कैसे पहुँचें –
How to Reach Valmiki Tiger Reserve
वाल्मीकि नेशनल पार्क पहुँचने के लिए गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) एवं बेतिया (बिहार) से सीधी एवं अच्छी सड़कें बनी हुई हैं यहाँ से आप कुछ घंटे मे सड़क मार्ग से पहुँच सकते हैं । नेपाल से भी यह पार्क सड़क मार्ग से महज कुछ मिनट की दूरी पर स्थित है ।
बिहार की राजधानी पटना के पाटलीपुत्र जंक्शन से कई ट्रेन नरकटियागंज के लिए आती हैं । नरकटियागंज से किसी भी गोरखपुर जाने वाली पैसेंजर ट्रेन को पकड़ के वाल्मीकिनगर स्टेशन जाया जा सकता है।
वाल्मिकीनगर स्टेशन एक छोटा सा रेलवे स्टेशन है जहां से वाल्मीकि नगर, गोल चौक के लिए आसानी से ऑटो मिल जाते हैं ।
आप सीधे जंगल कैंप के लिए भी ऑटो बूक कर सकते हैं । गोल चौक से जंगल कैंप की दूरी मात्र एक या डेढ़ किलोमीटर की होगी । गोल चौक से जंगल कैंप जाने के लिए ई-रिक्शा ले लीजिये या पैदल भी जा सकते हैं ।
बस सेवा
एक तरीका यह भी है की पटना के बस स्टैंड से प्रतिदिन रात्रि में एक या दो बसें सीधे वाल्मीकि नगर के लिए चलती हैं । आप उन्हें भी चुन सकते हैं, लेकिन कम बसें चलने के कारण उनमे सीटों की उपलब्धता कभी-कभी कम भी हो जाती हैं अतः मेरा सुझाव यह है की आप यहाँ आने के 2-4 दिनों पहले हीं आने और जाने की सीटें बूक करवा लें ।
इससे आपको मनपसंद सीटें चुनने का मौका भी मिल जाएगा और यहाँ आने मे कोई परेशानी भी नहीं होगी । एक अन्य तरीका यह भी है की आप पटना या अन्य किसी भी स्थान से बस-ट्रेन द्वारा बगहा चले आइये । बगहा बस स्टैंड से हर घंटे आपको वाल्मिकी नगर (गोल चौक) जाने के लिए बस मिल जाएगी।
प्रशासनिक नियंत्रण
कुछ वर्षों पहले तक वाल्मीकि टाइगर रिजर्व मे जंगली जानवरों का अंधाधुंध शिकार किया जाता रहा था, परंतु 2010 मे वाल्मीकि टाइगर रिजर्व फाउंडेशन की स्थापना होने के बाद से जैव विविधता संरक्षण और पर्यावरण विकास के कार्यों मे बहुत तेजी से सुधार हुआ है।
The Conservator of Forests-cum-Field Director वाल्मीकि टाइगर रिजर्व पर प्रशासनिक नियंत्रण रखता है जो दो वन प्रभागों में गठित होता है।
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व डिवीजन- I और डिवीजन- II, जो दो प्रभागीय वन अधिकारी-सह-उप निदेशक के नियंत्रण में हैं। VTR के 8 रेंज हैं, जिनमें से 3 रेंज मंगरुहा, गोबर्धन और राघिया डिवीजन -1 और 5 रेंज में आते हैं।
हरनाटांर, चिटुहा, गनौली, वाल्मीकिनगर और मदनपुर डिवीजन- II में आते हैं। फाउंडेशन का उद्देश्य जैव विविधता संरक्षण और पर्यावरण विकास समितियों के बेहतर कामकाज में रिजर्व प्रबंधन में मदद करना है।
भैंसालोटन-वाल्मीकि नगर और
वाल्मीकि टाईगर रिज़र्व
वाल्मीकि नगर का पुराना नाम ‘भैसालोटन’ था । लेकिन कुछ वर्षों पहले इसका नाम बदलकर वाल्मीकि नगर कर दिया गया ।
रामायण काल मे वर्णित अति प्राचीन महर्षि वाल्मीकि का आश्रम इसी नेशनल पार्क में भारत नेपाल सीमा पर घने जंगलों मे स्थित है ।
इसी वजह से इस सुन्दर स्थान का नाम ‘वाल्मीकि नेशनल पार्क’ किया गया । इस पूरे क्षेत्र को वाल्मीकि नगर के नाम से जाना जाता है और प्रमुख वन क्षेत्र को ‘वाल्मीकि टाईगर रिज़र्व’ (VTR) के नाम से जाना जाता है जो की बाघों का संरक्षित क्षेत्र है ।
बाघों की संख्या
Tiger Population in Valmiki Tiger Reserve
पुराने समय मे इस नेशनल पार्क (VTR) मे पशु-तस्करों ने अंधाधुंध शिकार किया। भारत-नेपाल की अंतराष्ट्रीय खुली सीमा होने की वजह से बाघों का शिकार और उनका अंग व्यापार भारी मात्रा मे किया गया । इससे बाघों की संख्या मे लगातार गिरावट आयी और इनकी संख्या 10-15 के आसपास सिमट गई।
परंतु हाल के कुछ वर्षों मे सरकार द्वारा चलाये जा रहे बाघों के संरक्षण और सुरक्षा के कार्यक्रमों ने अपना सकारात्मक रंग दिखाना शुरू कर दिया और यह जंगल फिर से बाघों की चहल-कदमी से गुलज़ार हो गया । अब इस टाईगर रिज़र्व में बाघों की संख्या 50 के आसपास पहुँच चुकी है।
ये आंकड़े कुछ वर्ष पुराने हैं । बीते कुछ सालों मे इनकी संख्या और बढ़ गई होगी ऐसा अनुमान है । बाघों की गिनती जंगल प्रशासन द्वारा की जा रही है ।
क्यों खास है वाल्मीकि टाईगर रिज़र्व ?
Why is Valmiki Tiger Reserve Special ?
वाल्मीकि टाईगर रिज़र्व घूमने की एक बेहतरीन जगह है । अगर आप प्रकृति को नजदीक से महसूस करना चाहते हैं तो आप कुछ दिनों के लिए यहाँ जा सकते हैं । इस जगह की खूबसूरती आपका मन मोह लेगी।
एक तरफ नेपाल मे दूर तक दिखती हिमालय पर्वत श्रिंखला और उन्ही पर्वतों के बीच मे से निकल कर आती हुई विशाल गंडक नदी और नदी के दूसरी तरफ मीलों दूर तक फैला घना जंगल।
इस मनोरम दृश्य को नदी किनारे बैठ कर घंटों निहारा जा सकता है । जंगल के चारों ओर फैला सन्नाटा और जंगल के अंदर से आने वाली जंगली जानवरों की आवाजें, शांति इतनी की आप अपने ह्रदय के धड़कने की आवाज सुन सकते हैं।
यह अहसास शहरी जीवन से एकदम अलग है, न कोई प्रदूषण और न कोई शोर-गुल, यक़ीन मानिए आप इस अनुभव को वर्षों तक भूल नही पाएंगे । प्रकृति प्रेमियों के लिए यह जगह स्वर्ग से कम नहीं है ।
आस-पास
जब पूरी दुनिया सोती है तब जंगल जागता है । इस बात को यहाँ देखा और सुना जा सकता है । पूरे दिन की सैर के बाद जब आप रात्रि विश्राम करने के लिए अपने बिस्तर पर जाएंगे तब आपको इस बात का अहसास हो हीं जाएगा की यह जंगल अपने वन्यजीवन से कितना आबाद है ।
रात में जब आप इस जंगल से आती हुई आवाजें सुनेगें तब आपको यह लगने लगेगा की आप वाकई किसी अनोखी जगह मे पहुँच गए हैं जहां सैंकड़ों जीव-जन्तु अपनी दुनिया में स्वतंत्रता पूर्वक निवास करते हैं, यह उनकी अपनी दुनिया है और इस जंगल पर सिर्फ वे हीं राज करते हैं ।
कई दुर्लभ जंगली जीवों से भरे इस जंगल मे कुछ वक़्त बिताना एक अनूठा अनुभव है जो हमे बार-बार यहाँ आने को प्रेरित करता है ।
VTR जंगल कैंप से कुछ हीं दूरी पर कौलेश्वर झूला है जहां 5-10 मिनट मे पैदल पहुंचा जा सकता है । यह 300 मीटर लंबा एक पुल है जो लोहे की जाली एवं मोटे तारों पे लटका हुआ है और चलने पर हिलता है जो झूला झूलने जैसा हीं है। इसीलिए इसका नाम कौलेश्वर पुल न होकर कौलेश्वर झूला है।
इस झूला का निर्माण पर्यटकों के मनोरंजन के लिए किया गया है । इस झूला के दूसरी तरफ घना जंगल है और आगे जाने का कोई रास्ता भी नहीं है। अतः पर्यटक अंतिम छोड़ से वापस लौट आते हैं । सुबह की पैदल सैर के लिए पेड़- पौधों से लिपटा यह झूला एक उपयुक्त गंतव्य हो सकता है । यह निशुल्क है ।
ठहरने की जगह Valmiki Tiger Reserve (VTR) Booking
वाल्मीकि टाईगर रिज़र्व आने वाला हर शैलानी यहाँ दोबारा जरूर आना चाहता है, क्यूंकि यह जगह है हीं कुछ ऐसी।
यहाँ रुकने के लिए मुख्य जंगल के बाहर कुछ होटल उपलब्ध हैं लेकिन अगर आप इस जगह का पूरा आनंद लेना चाहते हैं तो जंगल के मुख्य प्रवेश द्वार के पास बने जंगल कैंप या वाल्मीकि विहार रिसोर्ट में हीं रुकें ।
जंगल कैंप और वाल्मीकि विहार रिसोर्ट दोनों का निर्माण अभी हाल हीं मे बिहार सरकार के द्वारा पर्यटकों को अच्छी सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से करवाया गया है ।
जंगल कैंप मे एक कैंटीन भी है जहां चाय नाश्ते के साथ शाकाहारी एवं मांसाहारी भोजन का लुत्फ उठाया जा सकता है । यह कैंटीन सुबह से रात तक खुली रहती है ।
जंगल की सैर
Valmiki Tiger Reserve (VTR) Jungle Safari
पर्यटकों को जंगल मे घुमाने के लिए यहाँ वन विभाग की ओर से ओपेन जीप्सी की व्यवस्था की गई है, जो आपको सुरक्षित रूप से जंगल की सैर करवाती है ।
इस सैर मे आपके साथ एक गाइड भी होता है जो आपको इस जंगल की विविधताओं से परिचित करवाता है । इस जिप्सी मे 6 पर्यटक एक साथ बैठ सकते हैं।
यह सेवा काफी कम पैसों मे उपलब्ध है । इस जिप्सी की बूकिंग आप जंगल कैंप मे कर सकते हैं ।
साईकिल की सवारी
यहाँ साईकिल से भी इस जंगल की सैर की जा सकती है, जंगल कैंप में आपको सस्ते दरों में किराये पर साईकिल मिल जाएगी और साथ मे एक गाइड भी मिलेगा जो आपको सुरक्षित रास्ते से जंगल की सैर करवाएगा ।
साईकिल से आप VTR जंगल कैंप से वाल्मीकि आश्रम (नेपाल) तक घने जंगलों में ट्रैकिंग कर सकते हैं, यह एक रोमांचक सैर है जहां आपको रास्ते मे कई वन्यजीव दिखाई देते हैं।
साईकिल द्वारा भारत-नेपाल बार्डर क्रॉस करना, जंगली नदी क्रॉस करना वो भी घने जंगलों के बीच यह अनूठा अनुभव है ।
हालांकि आप इस जगह बिलकुल अकेले नहीं होते हैं, यहाँ भारतीय सश्त्र सीमा बल (SSB) की एक टुकड़ी भारत-नेपाल बार्डर पर हमेशा तैनात रहती है जो आपको बार्डर के नजदीक दिख जाएगी ।
गंडक नदी मे राफ्टिंग का आनंद लेने के लिए यहाँ बोट भी उपलब्ध है ।
नेपाल की सैर | Nepal Tour
वाल्मीकि टाईगर रिज़र्व (VTR) घूमने आने वाले सैलानियों मे से अधिकतर सैलानी गंडक नदी के उस पार नेपाल जरूर जाते हैं।
ऐसा इसलिए है क्योंकि इस जगह से सामने नदी के उस पार नेपाल दिखाई देता है और जब काफी कम पैसे खर्च कर के नेपाल जाने का मौका मिले तो इसे कोई क्यूँ नहीं करना चाहेगा ।
नेपाल की सैर करना बहुत आसान है, बगैर पासपोर्ट-वीजा के विदेश की सैर कर लेने मे कोई हर्ज़ नहीं है।
नेपाल जाने के लिए वाल्मीकि नगर के गोल चौक से बहुत सारे ई-रिक्शा मिल जायेंगे और वे आपको नेपाल के नज़दीकी इलाकों की सैर करवा लाएँगे ।
तीन से चार घटों मे आप नेपाल से वापस अपने देश में पहुँच जायेंगे। नेपाल मे आप एकमात्र नज़दीकी दर्शनीय स्थल शीश महल (मंदिर) तक हीं ई-रिक्शा से जा पायेंगे।
नेपाल की नारायणी नदी जो तीन नदियों के साथ मिलकर विशाल गंडक नदी बनकर भारत में प्रवेश करती है उस संगम स्थल को भी वहाँ देख पायेंगे ।
नेपाल के अन्य हिस्सों मे जाने वाले सैलानियों को नेपाली बसों/टैक्सी या अपनी निजी गाड़ी से आगे की यात्रा करनी होगी ।
कमरों की बुकिंग Valmiki Tiger Reserve (VTR) Booking
यहाँ ठहरने के लिए आपको जंगल कैंप और वाल्मीकि विहार रिसोर्ट मे पहले से online बुकिंग करनी होगी ।
यहाँ आकर भी आपको ऑनलाइन बुकिंग हीं करनी होगी और वो भी तब जब कमरे खाली होंगें ।
क्योंकि यह जंगल कैंप पर्यटन विभाग (बिहार सरकार) के नियंत्रण मे है, और इस जंगल का मुख्यालय बेतिया मे स्थित है अतः जंगल कैंप और वाल्मीकि विहार रिसोर्ट की बुकिंग इनकी अपनी वैबसाइट www.valmikitigerreserve.com पर हीं होती है ।
इसीलिए अच्छा यही होगा की आप पहले से बुकिंग कर लें ।
घूमने का समय
Valmiki Tiger Reserve (VTR) Timings
वाल्मीकि टाईगर रिज़र्व प्रतिवर्ष मध्य जुलाई से मध्य सितंबर तक सैलानियों के लिए बंद रहता है, एक तो बरसात का मौसम होने से जंगली कच्चे रास्ते खराब हो जाते हैं ।
नदियाँ-नाले उफ़ान पर रहते हैं और दूसरा यह बाघों के एकांतवास का समय है । अतः आने के पहले अपना समय सुनिश्चित कर लेना बेहतर होगा ।
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Aapne to pura vtr hi dikha diya mai jana chahta hu is jagah. Thanks for guiding.
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